शारदीय नवरात्र शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व 21 सितम्बर से शुरू होकर 29 सितम्बर को समाप्त होगा। नवरात्र के पहले दिन (कलश )घटस्थापना की जाती है इसके बाद लगातार नौ दिनों तक माता की भक्ति में पूजा और उपवास किया जाता है और अष्टमी और नवमी में कन्या पूजा की जाती है। वैसे नवरात्र के प्रारंभ से ही अच्छा वक्त शुरू हो जाता है | इसलिए अगर जातक शुभ मुहूर्त में घट स्थापना नहीं कर पाता है तो वो पूरे दिन किसी भी वक्त कलश स्थापित कर सकता है | इस बार नवरात्र का शुभ मुहूर्त गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में घट स्थापना के साथ शक्ति उपासना का पर्व काल शुरु होगा सुबह 6 बजे से 8 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। । अभिजीत मुर्हूत 11.36 से 12.24 बजे तक है। गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में यदि देवी आराधना का पर्व शुरू हो, तो यह देवीकृपा व इष्ट साधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
पहले दिन 21 सितंबर से सुबह मां के शैलपुत्री के रूप का पूजा की जाती है। इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी से होगा व गमन पालकी पर ही होगा, जो अति शुभ है। देवीपुराण में नवरात्रि में भगवती के आगमन व प्रस्थान के लिए वार अनुसार वाहन बताये इस बार माता का आगमन व गमन जनजीवन के लिए हर प्रकार की सिद्धि देने वाला है।
देवी भागवत में नवरात्रि के प्रारंभ व समापन के वार अनुसार माताजी के आगमन प्रस्थान के वाहन इस बताए गए हैं।
आगमन वाहन
रविवार व सोमवार को हाथी
शनिवार व मंगलवार को घोड़ा
गुरुवार व शुक्रवार को पालकी
बुधवार को नौका आगमन
प्रस्थान वाहन
रविवार व सोमवार भैंसा
शनिवार और मंगलवार को सिंह
बुधवार व शुक्रवार को गज हाथी
गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान
सर्वार्थसिद्धि योग में मनेगा दशहरा
22 सितम्बर द्वितीया, रवियोग – (मां ब्रह्मचारिणी की पूजा) |
23 सितम्बर तृतीया, रवियोग,सर्वार्थसिद्धि – (मां चन्द्रघंटा की पूजा) |
24 सितम्बर चतुर्थी, रवियोग- (मां कूष्मांडा की पूजा) |
25 सितम्बर चतुर्थी, रवियोग, सर्वार्थसिद्धि – (मां स्कंदमाता की पूजा) |
26 सितम्बर षष्ठी, रवियोग – (मां कात्यायनी की पूजा) |
27 सितम्बर सप्तमी,रवियोग – (मां कालरात्रि की पूजा) |
28 सितम्बर दुर्गाअष्टमी महापूजा – (मां महागौरी की पूजा) |
29 सितम्बर महानवमी रवियोग – (मां सिद्धदात्री की पूजा) |
30 सितम्बर विजयादशमी, रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग